शाम की चाय (स्वैच्छिक )-29-Jul-2024
प्रतियोगिता हेतु
दिनांक: 28/07/2027
रविवार
शाम की चाय (स्वैच्छिक)
चाय शाम की बहुत भाती है
जब यादें हो संग मन लुभाती हैं।
चाय और उसके साथ स्नैक
मज़ा आ जाता है।
चाय भीगी हो यादों से
एक सुकून सा छा जाता है
चाय शाम की बहुत भाती है,
जब यादें हो संग मन लुभाती हैं ।।
मन खिल उठता है,
चाय से भरा कप आते ही हाथ में।
दिल बाग बाग हो जाता है,
जब एक चुस्की का साथ मिलता होंठों को।
शाम की चाय लाजवाब कर देती है
जब मिलें हो अपने तो
हर लम्हा खुशगवार कर देती है।
चाय शाम की बहुत भाती है
जब यादें हो संग मन लुभाती हैं।
शाहाना परवीन'शान'...✍️
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